भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता: तकनीक, सर्जिकल स्ट्राइक और 5G का असली मतलब

नमस्ते दोस्तों!

आज मैं आपसे एक ऐसी बात शेयर करने वाला हूँ, जिस पर सुनकर आप भी गर्व महसूस करेंगे — वो है हमारा देश, हमारी तकनीक और हमारी अपनी ताकत! हम आए दिन अख़बारों में, न्यूज़ चैनलों पर या सोशल मीडिया पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बातें सुनते रहते हैं। पर असल में इसका मतलब क्या है? चलो, आज इसे आसान भाषा में समझते हैं।

1️⃣ अपनी तकनीक, अपनी ताकत — ‘सिंधु’ से ‘ब्रह्मोस’ तक!

सबसे पहले बात करते हैं हमारे स्वदेशी सिस्टम्स की। हमें इस पर बहुत नाज़ होना चाहिए कि आज हमारे पास अपनी बनाई मिसाइलें, एयर कंट्रोल सिस्टम और कई ऐसे हथियार हैं, जिनसे हम किसी पर भी भारी पड़ सकते हैं।
सोचिए, ब्रह्मोस मिसाइल, इंटीग्रेटेड एयर कमांड, ‘वदास’ जैसी टेक्नोलॉजी — ये सब ऐसे सिस्टम्स हैं जो हमारी सेनाओं को ताकतवर बनाते हैं और हमें दूसरों पर निर्भर नहीं रहने देते।

ये सिर्फ़ मशीनें नहीं हैं, ये हमारी मेहनत, हमारी सोच और हमारी काबिलियत का सबूत हैं।

2️⃣ 23 मिनट की कहानी — सर्जिकल स्ट्राइक

अब आपको याद होगा वो दिन, जब हमने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकियों के ठिकाने तबाह कर दिए थे।
ये कोई मामूली बात नहीं थी। उस ऑपरेशन को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कहा गया।
रात 1:05 बजे हमारे जवानों ने ऑपरेशन शुरू किया और 1:28 बजे तक सारा काम ख़त्म कर दिया — यानी सिर्फ़ 23 मिनट में!

फिर बाहर वालों ने बहुत कुछ कहा — पर सच्चाई ये है कि कोई नुक़सान नहीं पहुँचा। दुनिया की बड़ी-बड़ी मीडिया ने भी माना कि पाकिस्तान के एयरबेस पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
ये इसलिए मुमकिन हो पाया क्योंकि हमारे पास सही टेक्नोलॉजी थी, सही लोग थे और सबसे ज़रूरी — सही इरादा था!

3️⃣ सैटेलाइट, AI और ‘रॉम्बस’ की सीख

अब बात करते हैं उस दौर की जब मैंने खुद एक किस्सा सुना।
एक जनरल थे अमेरिका में — मैकमास्टर। उनके कहने पर एक सज्जन मुझसे मिलने आए। वो ‘रॉम्बस कॉर्पोरेशन’ नाम की कंपनी के फाउंडर थे।
उन्होंने बताया कि उन्होंने सैटेलाइट डेटा और AI का इस्तेमाल करके पाकिस्तान की मूवमेंट का पूरा डेटा अमेरिकी सेना को दे दिया था।

सोचिए, आज टेक्नोलॉजी की दुनिया कहाँ पहुँच चुकी है!
तब मैंने सोचा कि अगर अमेरिका कर सकता है, तो हम क्यों नहीं? हमें भी अपनी टेक्नोलॉजी पर इतना काम करना होगा कि कोई भी हमारी तरफ़ आँख उठाकर न देख सके।

4️⃣ एलन ट्यूरिंग से क्या सीखें?

आपने एलन ट्यूरिंग का नाम सुना होगा — कंप्यूटर साइंस के जनक कहे जाते हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने जर्मनी की सीक्रेट कोडिंग ‘एनिग्मा मशीन’ को तोड़ दिया था।
इसी वजह से जर्मनी की हार हुई और पूरी जंग का रुख बदल गया।

अब सोचिए — अगर उस वक्त एक इंसान ये कर सकता है तो आज हम क्यों नहीं?
भारत को भी ऐसे ही कई ‘ट्यूरिंग’ चाहिए — यानि ऐसे नौजवान जो दिमाग से तेज़ हों, टेक्नोलॉजी में माहिर हों और देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा रखते हों!

5️⃣ 5G और डेटा सुरक्षा — अब सब होगा देशी

2020 में एक बड़ा फ़ैसला लिया गया — अब हमारा 5G नेटवर्क पूरी तरह देश में ही बनेगा।
यानि हम किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहेंगे।
ये हमारे डेटा की सुरक्षा के लिए बहुत ज़रूरी था — सोचिए अगर आपके कॉल, मैसेज या इंटरनेट डेटा पर किसी और देश का कंट्रोल हो तो?

अब ऐसा नहीं होगा। हमारी सरकार और हमारे वैज्ञानिक इसपर काम कर रहे हैं। धीरे-धीरे हम पूरी तरह आत्मनिर्भर बन जाएंगे।

आख़िरी बात

दोस्तों, अगर आप सोच रहे हैं कि ये सब बड़ी-बड़ी बातें हैं तो याद रखिए — ये सब आज हमारे बीच हो रहा है!
हमारे सैनिक, हमारे वैज्ञानिक और हमारी युवा पीढ़ी मिलकर वो कर रहे हैं, जिस पर कभी हमें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था।

तो अगली बार जब कोई पूछे कि ‘भारत कितना ताकतवर है?’ — तो गर्व से कहना, ‘हम अपनी ताकत खुद बनाते हैं!’

जय हिंद 🇮🇳✨

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