“शेयर बाजार में कोहराम क्यों? Fed का धोखा, ट्रंप का तूफान, मिडिल ईस्ट आग और IT मंदी!”“शेयर बाजार में कोहराम क्यों? Fed का धोखा, ट्रंप का तूफान, मिडिल ईस्ट आग और IT मंदी!”

शेयर बाजार में बवाल क्यों मचा है?

Fed का धोखा, ट्रंप का तूफान, मिडिल ईस्ट में आग, और IT सेक्टर में गड़बड़ – क्या अब भी आपका पोर्टफोलियो सुरक्षित है?

नमस्ते दोस्तों,
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं या करने का प्लान बना रहे हैं, तो हाल के दिनों में जो कुछ हुआ है, उसने ज़रूर आपको भी सोचने पर मजबूर कर दिया होगा। ये केवल कुछ अजीब उतार-चढ़ाव नहीं हैं, बल्कि बड़ी वैश्विक घटनाएं हैं, जो सीधे आपके निवेश को हिला सकती हैं।

चलिए एक-एक करके समझते हैं कि असल में हो क्या रहा है और इसके पीछे की बड़ी वजहें क्या हैं।

Fed का फैसला: उम्मीदों को झटका

दुनियाभर की नज़रें अमेरिका की फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक पर थीं।
उम्मीद थी कि ब्याज दरें घटाई जाएंगी, जिससे बाजार को राहत मिलेगी।
लेकिन फेड ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया।

फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने साफ तौर पर कहा कि मौजूदा हालात बहुत अनिश्चित हैं।
उनका फोकस अब स्टैगफ्लेशन जैसी स्थिति से बचने पर है – जहां महंगाई बढ़ती जाती है, लेकिन आर्थिक विकास रुक जाता है और नौकरियां भी कम होने लगती हैं।

हालांकि पॉवेल ने इशारा जरूर दिया कि इस साल दो बार दरें घट सकती हैं, लेकिन समय को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं दी। इससे बाजार और ज्यादा कन्फ्यूज हो गया।

ट्रंप का हमला: बयानबाज़ी से बढ़ी बेचैनी

जैसे ही फेड ने अपना फैसला सुनाया, डोनाल्ड ट्रंप ने उस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने फेड को अमेरिका की आर्थिक रफ्तार के लिए बड़ा रोड़ा बताया और यह तक कह डाला कि फेड की नीतियों से देश को अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है।

ट्रंप की ऐसी बयानबाज़ी सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी हलचल बढ़ा देती है। और यही अब भारतीय बाजार पर भी दिख रहा है।

मिडिल ईस्ट में तनाव: भारत पर सीधा असर

इजरायल और ईरान के बीच चल रहा संघर्ष एक गंभीर मोड़ पर पहुंच चुका है।
कुछ बड़े अस्पतालों पर हमलों की खबरें आई हैं, जो पूरे विश्व को झकझोर गई हैं।

इस टकराव का असर कच्चे तेल की कीमतों पर दिखने लगा है, जो लगातार बढ़ रही हैं।
भारत जैसे देश, जो अपनी ज़रूरत का अधिकांश तेल आयात करते हैं, उनके लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।
तेल महंगा होने का मतलब है, महंगाई बढ़ेगी और आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।

IT सेक्टर में सुस्ती के संकेत

Accenture के हालिया तिमाही नतीजे अनुमान से कमजोर रहे हैं।
इतना ही नहीं, कंपनी ने आगे के लिए भी सतर्कता जताई है।

चूंकि Accenture का असर भारतीय IT कंपनियों पर भी पड़ता है, इसलिए TCS, Infosys, HCL और Wipro के शेयरों पर भी दबाव देखा गया।

Accenture ने कहा कि उनके ग्राहक वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिका की राजनीति को देखकर खर्च करने से बच रहे हैं। ये बात भारत के IT सेक्टर के लिए भी चिंता की बात है।

RBI की राहत की पहल

अब कुछ राहत की खबर भी।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियमों में ढील दी है।

पहले जहां बैंकों को 5% का प्रोविजन रखना होता था, अब इसे घटाकर 1.5% कर दिया गया है।
इससे बैंकिंग सेक्टर को कुछ राहत मिली है और निवेशकों को थोड़ी उम्मीद भी जगी है।

मिड और स्मॉल कैप निवेशकों को सबसे बड़ा झटका

अगर आप मिड कैप या स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश करते हैं, तो आपने बीते हफ्तों में अपने पोर्टफोलियो में गिरावट ज़रूर महसूस की होगी।

जहां निफ्टी और सेंसेक्स ने खुद को थोड़ा संभाला है, वहीं छोटे स्टॉक्स में जबरदस्त गिरावट आई है।
कई निवेशकों के लिए ये सबसे बड़ा झटका साबित हो रहा है।

अब क्या करना चाहिए?

इन सभी घटनाओं का एक साथ आना एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है – लेकिन निवेश में ऐसा अक्सर होता है।
ऐसे समय में घबराना नहीं, बल्कि सतर्क रहना ज़रूरी है।

फिलहाल बाजार में शॉर्ट टर्म में और भी उथल-पुथल हो सकती है, इसलिए कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले सोच-समझकर चलें।

सही स्टॉक्स पर विश्वास रखें, लंबी अवधि का नजरिया बनाए रखें, और किसी भी डर या अफवाह में आकर जल्दबाजी में फैसला न लें।

अगर आपको यह लेख जानकारीपूर्ण लगा हो, तो इसे ज़रूर अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें।
हो सकता है ये जानकारी उनके काम आ जाए, खासकर उन लोगों के लिए जो इस समय बाजार को लेकर असमंजस में हैं।

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