दुनिया एक और बड़े टकराव की ओर?
दुनिया भर में एक बार फिर तनाव गहराता जा रहा है। CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि इज़राइल ईरान पर परमाणु ठिकानों को लेकर हमला करने की तैयारी कर रहा है। ये खबर सामने आते ही ग्लोबल शेयर बाजार में खलबली मच गई है।
ईरान-इज़राइल विवाद: पुरानी दुश्मनी, नया मोड़
ईरान और इज़राइल के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। ईरान कई बार यह बयान दे चुका है कि अगर उसके पास परमाणु हथियार होते, तो वह इज़राइल पर हमला करने से नहीं चूकता। वहीं, इज़राइल किसी भी हालत में ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देना चाहता। इसी सोच के चलते इज़राइल एक pre-emptive strike (पूर्व-प्रत्याशित हमला) की रणनीति पर काम कर सकता है।
यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब पश्चिम एशिया पहले से ही संघर्षों और अस्थिरताओं का केंद्र बना हुआ है।
वैश्विक व्यापार और आर्थिक मार्गों पर असर
मध्य पूर्व यानी Middle East – जिसमें ईरान एक अहम खिलाड़ी है – यूरोप और भारत को जोड़ने वाले व्यापार मार्गों का प्रमुख केंद्र है। अगर इस क्षेत्र में युद्ध छिड़ता है या समुद्री मार्ग (जैसे Strait of Hormuz) पर असर पड़ता है, तो ग्लोबल सप्लाई चेन रुक सकती है।
🚢 भारत, जो बड़ी मात्रा में व्यापारिक माल इस रूट से भेजता और मंगवाता है, उसके लिए यह चिंता का विषय बन सकता है।
शेयर बाजार में गिरावट शुरू
जैसे ही युद्ध की आशंका की खबरें आईं, यूरोपीय बाजारों में दबाव देखने को मिला। इज़राइल का खुद का बाजार भी लाल निशान में आ गया। निवेशक “risk-off” मोड में चले गए हैं यानी अब वे सुरक्षित निवेश (जैसे गोल्ड, बॉन्ड्स) की ओर जा रहे हैं।
🔻भारत समेत उभरते बाजारों में भी इसका असर दिखना तय है, खासकर अगर तनाव और बढ़ता है।
कच्चे तेल के दाम और महंगाई पर असर
मध्य पूर्व में हर छोटा-बड़ा विवाद सीधा crude oil (कच्चे तेल) की कीमतों को प्रभावित करता है। भारत, जो अपनी जरूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है, ऐसे संकटों से सबसे ज़्यादा प्रभावित होता है।
📈 अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो महंगाई भी उछलेगी। इससे जनता की जेब पर असर पड़ेगा और व्यापार जगत की लागत भी बढ़ेगी।
RBI की पॉलिसी पर असर?
फिलहाल RBI के पास ब्याज दरों को कम करने का विकल्प खुला था क्योंकि महंगाई कंट्रोल में थी। लेकिन अगर ईरान-इज़राइल युद्ध होता है और इससे तेल महंगा होता है, तो RBI को दरें घटाने के बजाय स्थिर या बढ़ानी पड़ सकती हैं।
💡 यह घरेलू ग्रोथ और कर्ज लेने की लागत पर असर डालेगा।
क्या बाजार में और गिरावट आ सकती है?
मार्केट पहले ही 25,000 के रेजिस्टेंस लेवल से नीचे चल रहा है। अगर तनाव और बढ़ता है, तो bearish निवेशक इसे मौके की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। यानी और ज़्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है।
निवेशकों के लिए सलाह
- 🌐 Global Cues पर नजर रखें।
- 📊 GIFT Nifty और अमेरिकी बाजार की दिशा देखें।
- 🛢️ कच्चे तेल की कीमतों पर नज़र बनाए रखें।
- 💼 जोखिम से बचने के लिए पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन करें।
निष्कर्ष
ईरान और इज़राइल के बीच संभावित युद्ध न सिर्फ वैश्विक राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्था, शेयर बाजार, तेल नीति और आम आदमी की जेब पर भी सीधा असर डालेगा। आने वाले समय में हर निवेशक और आम नागरिक को इस विषय पर अपडेट रहना बेहद जरूरी है।
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